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कोरोना के चलते संसद का शीतकालीन सत्र नहीं होगा मगर चुनाव प्रचार कर सकते हैं

नीतीश गुप्ता, गोरखपुर। देशभर में कोरोना का कहर जारी है, कोरोना का आकड़ा 1 करोड़ पार भी कर गया है लेकिन इसी बीच देशभर में जहां जहां चुनाव हो रहे हैं या होने वाले हैं वहां वहां जमकर राजनीतिक पार्टियों द्वारा रैलियां की जा रही हैं जहां हजारों की तादाद में लोग इक्कट्ठा हो रहे हैं। मगर इन सब के बीच जब बात सदन चलाने की आती है तो सरकार को याद आता है कि देश में महामारी है इसीलिए सदन को रद्द कर दिया जाए।

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण इस साल संसद के शीतकालीन सत्र का आयोजन नहीं किया जाएगा. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोमवार को इस बात की जानकारी दी और बताया कि कई दलों के नेताओं से चर्चा के बाद आम राय बनी थी कि सत्र नहीं बुलाया जाना चाहिए.

याद करिये नवंबर का वो महीना जब बिहार में चुनाव था और वहां पर प्रधानमंत्री से लेकर तमाम नेताओं ने प्रचार के दौरान महामारी एक्ट की जमकर धज्जियां उड़ाई थी। खैर तब चुनाव था चुनाव खत्म होते ही सरकार जाग गयी थी लेकिन तभी हैदराबाद के निगम चुनाव सामने आ गए और फिर कोरोना को साइड कर सरकार के तमाम बड़े टीवी वाले नेता जी लोग पहुँच गए वहां प्रचार के लिए।

अब बारी बंगाल की है जिसकी कमान गृह मंत्री ने खुद संभाल रखी है। वहां वो तमाम दिग्गज नेताओं के साथ चुनाव प्रचार कर रहे हैं ताकि बंगाल में बीजेपी अच्छा प्रदर्शन कर सके।

इन सब के बीच विपक्षी दल भी हावी हैं वो भी रैलियों से लेकर हर वो काम कर रहे हैं जिससे जनता उन्हें वोट दे। यहां विपक्षी पर सवाल इसलिए नहीं उठा सकते क्योंकि विपक्ष का तो काम ही सरकार का विरोध करना है मगर यहाँ सरकार खुद ही जब नियमों का उपहास उड़ाए तो फिर और क्या ही कहना।

शीतकालीन सत्र को रद्द करना सरकार की मंशा पर सवाल इसलिए खड़ा करता है क्योंकि इस समय कृषि कानून के खिलाफ लाखों किसान सड़कों पर हैं सरकार को सदन में इसपर चर्चा करनी चाहिए थी और किसानों से बातचीत कर हल निकालना चाहिए था मगर सरकार अपने हठ में लगी हुई है और किसान अपने इन सब के बीच कोई सबसे ज्यादा परेशान है तो है आम आदमी।

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