सप्तर्षि के बारे में अभी तक सुना जाता है अब पूजा जायेगा : डॉ प्रभु नाथ

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गोरखपुर। सप्तर्षि यानी सात ऋषि (सप्त+ऋषि) हमारे दिल और हमारे दिमाग पर छाए हुए हैं। बचपन में जैसे हम लोगों को चन्द्रमा में नजर आने वाले काले धब्बे को लेकर कई तरह की कहानियां सुनाई जाती हैं, ध्रुव तारे को लेकर कई तरह की बातें बताई जाती हैं, वैसे ही सप्तर्षियों के बारे में भी कई तरह की गौरव-गाथाएं सुनाई जाती हैं।

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उक्त बाते आज डॉ प्रभुनाथ सोनकर पूर्व चिकित्सा अधिकारी एवं जिला पंचायत सदस्य ने आज उत्तर प्रदेश के पहले सप्तर्षि मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में लोगो को संबोधित करते हुए कही है।

जहां आकाश में आकाशगंगा नजर आती है, वहां सप्तर्षियों का वास है, वे तारे जिन्हें सात की संख्या तक पहुंचाया जाता है, वे ही वहां रहने वाले सात ऋषि हैं, इस तरह की अद्भुत बातें, कहानियां, गाथाएं सुनकर हमारे देश के बच्चे बड़े होते हैं। जाहिर है कि हम लोगों के जेहन में सप्तर्षि अमिट तरीके से अंकित हैं और उनके प्रति हमारे मन में अगर कोई भाव है तो सिर्फ सम्मान का है, श्रद्धा का है।

गगहा के बासुडीहा गंभीर पुर में आज डॉ: प्रभुनाथ अपनी धर्म पत्नी के साथ गायत्री परिवार रचनात्मक ट्रस्ट वासुडीहा गंभीरपुर कोठा गगहा में सप्तर्षि मंदिर की आधारशिला रखी।

कार्यक्रम में हरेंद्र सिंह, आलोक सिंह, गुड्डू पांडे, मोहन यादव, रामधारी यादव, विपुल सिंह, चंदन सिंह, डॉ विकल्प सिंह, अनुराग श्रीवास्तव, संजय यादव, मुन्ना यादव, योगेश्वर यादव, शेष नाथ मौर्य, विपिन मौर्य व बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।