बिना काम कराए प्रधानों और सेक्रेटरी ने निकाले करोड़ो रुपए, अब रात के अंधेरे में हो रही कोटापूर्ति

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महराजगंज। निचलौल ब्लाक के पैकौली, कटहरी खुर्द, कटहरी कला, घोड़नर, सण्डा व रामपुरवा ग्रामसभा में ग्राम प्रधानों व सेक्रेटरी ने की मिलीभगत से बिना कार्य कराये करोड़ों रुपये गबन कर लिया। अब जब जांच शुरू हुई तो रात अंधेरे में चोरी छिपे खाना पूर्ति की जा रही है।

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इसमें अकेले कटहरी खुर्द व पैकौली में एक करोड़ से ज्यादा सरकारी पैसा बिना काम कराए निकाला गया है। मामला मीडिया में आने पर कटहरी खुर्द व पैकौली कला में रातो रात कार्य कराया जा रहा है।

एक साल पहले भुगतान अब शुरू हुआ काम

गांव वालों ने बताया कि एक वर्ष पूर्व जिन कार्यो का भुगतान हो गया है वो रात में शुरू हुआ है। गांव वालों का कहना है कि बिना बीडीओ व अन्य संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से ये सम्भव है। इस पर सरकारी ब्यवस्था पर सवाल उठना लाजमी है।

डीडीओ ने जांच में पाई गड़बड़ी

मामले को संज्ञान में लेते हुये जिला विकास अधिकारी द्वारा ग्राम पंचायतो का भौतिक निरीक्षण किया गया। जांच के दौरान काफी खमियां पाई गईं व बिना कार्य कराये भुगतान करा लिया गया है।

मनरेगा में भी भारी गड़बड़ी

कुछ ग्राम पंचायत में एक दबंग ग्राम प्रधान द्वारा ब्लाक के अधिकारियों की मिलीभगत से ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत ग्राम प्रधानों से ठेका लेकर आधे अधूरे कार्य कराकर सरकारी धन का दुरपयोग किया जाता है।जिला विकास अधिकारी जगदीश त्रिपाठी द्वारा बताया गया कि इन अनियमित्ता में ग्राम प्रधान सहित सम्बन्धित अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ रिकवरी कराते हुए गम्भीर धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।

खाता हुआ सीज

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार महाकाल ट्रेडर्स के खाता संख्या 3650744006 आईएफएससी कोड CBIN0284670 को सीज कर दिया गया है।

टैक्स में भी घोटाला

बताते चलें कि ग्राम पंचायतों में महाकाल ट्रेडर्स नाम के एक फर्म पर दो करोड़ से ज्यादा की बिक्री का भुगतान हुआ है। लेकिन वाणिज्य कर विभाग को चूना लगाते हुए नाम मात्र का बिक्री दिखाते हुए कर जमा किया गया है।वाणिज्य कर बिभाग में शिकायत पहुचने पर बताया गया की इस फर्म पर हुए बिक्री का भुगतान व कर चोरी की जांच कर खातों को सीज करने के साथ ,नियमानुसार कर चोरी की 20 से 40 गुना की धनराशि फर्म स्वामी से वसूली का प्रावधान है। साथ ही यह फार्म कम्पोजिशन प्लान पर है जिसमे अधिकतम बिक्री की सीमा 75 लाख तक ही होता है।