गोरखपुर लोकसभा सीट का एग्जिट पोल बताने से पहले थोड़े दिन पीछे जाना होगा। 2018 के उपचुनाव से पहले यहां योगी आदित्यनाथ सांसद थे और तब भी निषाद चुनाव लड़ते थे लेकिन हर चुनाव में उनको मुँह की खानी पड़ती थी। लेकिन योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद निषाद वोटर एकजुट होने लगे और अंदर ही अंदर निषाद पार्टी ने जमीन पर अपने कार्यकर्ताओं की फौज खड़ा कर ली और बीजेपी इस बात से अनजान था कि निषाद वोटर इकट्ठा हो गए है।
ऊपर से गोरखपुर में गठबंधन का एक नया प्रयोग और दूसरा निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के पुत्र प्रवीण को गठगंधन ने मैदान में उतार दिया। यह प्रयोग गठबंधन के लिए सफल रहा और बीजेपी का अति आत्मविस्वास उसको ले डूबा ।कार्यकर्ताओ को लगता था कि योगी आदित्यनाथ की तरह इस बार भी चुनाव आसानी से जीता जा सकता है और यही आत्म विश्वास कम वोटिंग परसेंटेज उनको ले डूबा।
अब आते है एग्जिट पोल पर उस समय प्रवीण निषाद के साथ सारे निषाद नेता लगे हुए थे ।लेकिन आज प्रवीण ही बीजेपी में चले गए है और ऊपर से अमरेंद्र निषाद का बीजेपी में आना और फिर सपा में वापस चले जाना निषादों के मन मे एक संसय में ला दिया या यूं कहे कि निषाद वोटरों में उनके साख पर बट्टा लग गया। इस बार के चुनाव में यह बात देखने को मिली कि निषाद वोटर बंटे हुए दिखे कुछ निषाद पार्टी के वजह से तो कुछ मोदी के नाम पर वोट दिए है ऊपर से ज्यादा वोट परसेंटेज से राजनीतिक जानकर बता रहे है इससे बीजेपी को फायदा होगा।
GORAKHPUR LIVE ने गोरखपुर के हर मिजाज और हर जाति के लोगो के मिजाज को जानने की कोशिश में यह पाया कि मोदी फैक्टर गोरखपुर में भी हावी है और ऊपर से ज्यादा मतदान बीजेपी को और फायदा पंहुचा रही है।