गोरखपुर। “साहब, घर पर था, पांच साल के बेटे ने कहा पापा लॉक डाउन दिखा दो। नहीं आता तो घरवाले नाराज हो जाते।” यह बोल थे बेतियाहाता चौराहे पर रोके गए एक कार सवार के। कोरोना से बचने के लिए कहां वह बेटे को समझाने की जगह उसकी जिद पूरा करने सड़क पर निकले थे।
उनके इस बात को सुनकर पुलिस वालों को भी गुस्सा आ गया। फिर क्या घूमने की मंशा पूरी करने को चौकी में बैठा दिया। करीब पंद्रह मिनट बाद उन्हें जब यह समझ में आ गया कि पुलिस उनकी भलाई के लिए रोक रही है तो वह घर जाने की सिफारिश करने लगे। फिर पुलिस ने छोड़ा।
यह घटना एक बानगी मात्र है। इस तरह शहर में कई चौराहे पर ऐसा नजारा देखने को मिला। लोगों से सरकार और प्रशासन उनकी जान बचाने के लिए अपील कर रही है तो दूसरे लोगों को लग रहा है कि छुट्टी का इससे अच्छा समय हो ही नहीं सकता। सड़के खाली हैं। आफिस जाना नहीं है। फिर क्या घूम ही लिया जाए।
ऐसी शिकायतें डीआईजी, एसएसपी के पास भी पहुंची है। अब अफसरों ने ऐसे मामलों में सख्ती से निपटने का फैसला कर लिया है। डीआईजी राजेश डी मोदक ने साफ कहा है यह लॉकडाउन लोगों को बीमारी से बचाने के लिए किया गया है। कोई इमरजेंसी होने पर ही निकले अगर कोई मजाक करने निकलेगा तो सख्ती की जाएगी।