तो क्या गोरखपुर सीट जीतकर योगी के उत्तराधिकारी बन पाएंगे रवि किशन?

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गोरखपुर सीट से बीजेपी ने बड़ा दांव खेला है, हाल ही बीजेपी का दामन थामने वाले गोरखपुर के सांसद प्रवीण निषाद को टिकट ना देकर भोजपुरी सुपरस्टार रवि किशन को टिकट देकर। माना जा रहा है कि बीजेपी ने जानबूझ कर ऐसा किया क्योंकि गोरखपुर सीट से उन्हें किसी ब्राह्मण को टिकट देना था, लेकिन अब सवाल उठता है कि क्या गोरखपुर का कोई लोकल ब्राह्मण प्रत्याशी बीजेपी के पास नहीं था क्योंकि 2018 में हुए उपचुनाव में बीजेपी ने उपेंद्र शुक्ला को टिकट दिया था हालांकि उपचुनाव में उपेंद्र सपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद से हार गए थे पर क्या वो इस बार उम्मीदवार नहीं हो सकते थे?

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अगर गोरखपुर सीट की जातीय समीकरण पर नजर डाले तो वो कुछ इस प्रकार है, गोरखपुर में निषाद जाति की संख्या लगभग 3.5 लाख से 4 लाख के बीच है तो वहीं ब्राह्मण की संख्या करीब 2 लाख। राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो निषाद नेताओं को बीजेपी पार्टी में शामिल कर के बड़ा दांव खेली है।

प्रवीण निषाद को गोरखपुर से टिकट न देकर सन्तकबीरनगर से टिकट देने पार्टी की मंशा पर कहीं न सवाल खड़ा करता है। वहीं कुछ लोगों का तो ये भी कहना है कि रवि किशन को टिकट देने की वजह से लोकल स्तर के कार्यकर्ताओं और लोगों में गुस्सा भी है और तो और निषाद वोटर्स अपना रुख गठबंधन की मोड़ सकते है।

अब अगर ऐसा होता है तो देखना होगा कि क्या योगी की परंपरागत सीट रही गोरखपुर को रवि किशन बचा पाएंगे? क्या गोरखपुर सीट जीतकर योगी के उत्तराधिकारी बन पाएंगे रवि किशन? खैर इंतजार करिये 19 मई का जब गोरखपुर की जनता अपना मत डालेगी और 23 मई का भी जिस दिन नतीजे सामने आएंगे…